Pushpa Movie की असली चौंका देने वाली कहानी | Pushpa Real Story In Hindi.

पुष्पा नाम सुनकर फ्लावर फ्लावर समझा है क्या फायर है मै, पुष्पा मूवी में दिखाया जाने वाला लाल चंदन की तस्करी जंगलों के बीचों बीच तमिलनाडु और कर्नाटक के बॉर्डर को देखकर आपको ऐसा लगा होगा की आपने ऐसा कुछ पहले भी कहीं देखा है बिल्कुल आपने सही समझा यह फिल्म पूरी तरह से एक ऐसे डाकू से इंस्पायर होकर बनाई गयी है | Pushpa Real Story In Hindi जिसने चालीस सालों तक तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में राज किया | उसका नाम था वीरप्पन, वीरप्पन की जिन्दगी से इंस्पायर होकर बना यह फिल्म पुष्पा आज सारे रिकॉर्ड तोड़ती जा रही है अब तक इस फिल्म ने करीब 300 करोड़ रुपये कमा लिए है | वीरप्पन ने चालीस सालों तक तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में राज किया इसे पकड़ना इतना आसान नहीं था |

Pushpa Real Story In Hindi

इसे पकड़ने के लिए बाकायदा सरकार ने सौ करोड़ रुपये खर्च किए कहा जा रहा कि इतना कुख्यात डाकू था | कि इसने कन्नड़ के सबसे बड़े फिल्म स्टार राज कुमार को किडनैप कर लिया था | आइए इसकी कहानी जानते हैं 18 अक्टूबर 2006 को देश के सभी मीडिया घरानों से एक ही खबर दिखाई जा रही थी कि दक्षिण भारत के कुख्यात डाकू व्यापार एनकाउंटर में मारा गया है जैसा आप उसे पकड़ना लगभग नामुमकिन था | इसे पकड़ने के लिए बड़े बड़े सर्च ऑपरेशन थे सरकार ने इसे पकड़ने के लिए सौ करोड़ रुपये तक खर्च किया इसके बाद भी वीरप्पन को नहीं पकड़ा जा सका | लोग इसी बात से हैरान थे कि आखिर वीरप्पन का इनकाउंटर कैसे हो सकता है इस सवाल पर किसी को भी यकीन नहीं था लेकिन सच्चाई यही थी कि वे अप्पा राव का वाकई में एनकाउंटर हो चुका था | 

पुष्पा पुष्पा राज मैं झुकेगा नहीं साला | 

Pushpa story biography in hindi चंबल से लेकर दक्षिण भारत तक भारत में बड़े बड़े डाकुओं का राज रहा है लेकिन दक्षिण भारत की वीरप्पन को आखिर कौन नहीं जानता लंबे समय तक इसने जंगलों में राज किया|  कहा जाता है कि जंगल उसका घर हुआ करता था जंगल का ऐसा कोई कोना नहीं था जिसके बारे में ये नहीं जानता था काफी लंबे समय तक जंगलों में रह कर उसे कर्नाटक और तमिलनाडु पुलिस को चकमा दे देता था | हालांकि वीरप्पन जैसे डाकू को पकड़ना इतना आसान नहीं था लेकिन लंबी प्लानिंग के बाद वीरप्पन को पकड़ा जा सका लेकिन पुलिस ने उस वक्त एक मौका भी नहीं गंवाया मौका पाते ही लगातार उस पर 330 राउंड की फायरिंग की तब कहीं जाकर वीरप्पन को पकड़ा जा सका |

वीरप्पन डाकू कैसे बना |

डाकू बनने की उसकी कहानी वैसे 1952 से ही शुरू हो चुकी थी जब वह सिर्फ दस साल का था | दस साल की उम्र में इसने एक तस्कर का कत्ल किया | उसी वक्त फॉरेस्ट विभाग के तीन अफसरों को भी इसमें मार दिया वीरप्पन के गांववालों के मुताबिक वीरप्पन एक बहुत ही गरीब परिवार से था | स्मगलिंग करने के लिए फॉरेस्ट विभाग के कुछ अफसरों ने ही इसे इस लाइन में लाये लेकिन जब ये स्मगलिंग करके खूब पैसा कमाने लगा तो स्मगलिंग करने लगा उसके बाद अपनी जान बचाने के लिए जंगलों में भाग गया | इसके बाद फिर एक नई कहानी शुरू हुई जंगलों में रहते रहते सिर्फ 17 साल की उम्र में पहले हाथी को मारा जिसके बाद से वो जंगलों में पला बढ़ा जंगलों में रह कर इसने करीब 2000 हाथियों को मारा कहा जाता है कि हाथियों के सिर के ठीक बीचों बीच गोली मार करता था हाथियों को मार कर कइयों के दांतों की स्मगलिंग किया करता था इसके अलावा तमिलनाडु और कर्नाटक के जंगलों में पाए जाने वाले सबसे कीमती लाल चंदन के पेड़ों को काटकर उसकी लकड़ियों की स्मगलिंग करता था 

जब कभी भी कर्नाटक की पुलिस उसे पकड़ने के लिए जाती थी तो ये भागकर तमिलनाडु बॉर्डर को क्रॉस कर लेता था उसके बाद पुलिसवाले बॉर्डर के नियमों को मानते हुए बॉर्डर क्रॉस नहीं कर पाते थे | लंबे समय तक जंगलों में रहकर उसने यही काम किया लेकिन इसी बीच अगर कोई इसके खिलाफ जाता या कोई उसके बारे में बताने की कोशिश करता तो उसे सीधा मौत के घाट उतार देता था | अब तक इसने करीब 184 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था पैसों के लिए बड़े बड़े व्यापारियों का अपहरण कर उनके परिवार वालों से फिरौती मांगता था | 

लेकिन इन सब के अलावा कहा जाता है कि वीरप्पन को नाम कमाने का बहुत शौक था | वो चाहता था कि देश का बच्चा बच्चा उसे जानें इसी लिए उसने एक बार रजनीकांत जैसे सुपरस्टार को भी किडनैप करने का प्लान बनाया लेकिन वो इस प्लान में कामयाब नहीं हो सका लेकिन उसने राजकुमार जो कन्नड़ फिल्मों के बहुत बड़े सुपरस्टार थे कन्नड़ फिल्मों के मशहूर एक्टर राजकुमार का अपहरण वीरप्पन ने कर लिया लोगों में हड़कंप मच गया | लोग वीरप्पन का नाम जानने लगे थे वीरप्पन की दहशत फैलती जा रही थी राजकुमार को छोड़ने की एवज में उसने 50 करोड़ रुपये की डिमांड की उसे पकड़ने के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स बनाई गयी |  

किसने पकड़ा डाकू वीरप्पन को |

लंबे समय तक सर्च ऑपरेशन चलने के बाद के वीरप्पन किसी के हाथ नहीं आया क्योंकि इस जंगल में वीरप्पन रहता था जंगल को उससे बेहतर और कोई नहीं जानता था | उसने कर्नाटक के एक मिनिस्टर नागप्पा को किडनैप कर लिया था मांग पूरी न होने पर वीरप्पन ने उन्हें मार दिया उस समय वीरप्पन की दहशत इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी | कि उसे पकड़ने के लिए सरकार अपने आपको लाचार महसूस कर रही थी | और सरकार ने वीरप्पन को पकड़ने के लिए पांच करोड़ रुपये का इनाम रखा लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | इसके बाद एक दिन 2003 में विजय कुमार को एसटीएफ का चीफ बना दिया | 

विजय कुमार को एसटीएफ का चीफ बनाने के पीछे तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का हाथ था | जैसे ही विजय कुमार ने एसटीएफ की कमान संभाली उन्होंने वीरप्पन की सारी जानकारियां इकटठा करना शुरू कर दिया विजय कुमार भी जान चुके थे कि वीरप्पन को पकड़ना इतना आसान नहीं उसे पकड़ने के लिए एक बेहतरीन प्लानिंग की जरूरत थी | इसके लिए विजय कुमार ने एक तरकीब लगाई उन्होंने वीरप्पन की गाड़ी में अपने आदमियों को बैठाया कहानी यह है की एक दिन वीरप्पन आँख का इलाज करने के लिए जंगल से बाहर आया एम्बुलेंस में बैठा उसी में विजय कुमार ने अपने आदमियों को बैठाया था | वीरप्पन को नहीं पता था की इस गाड़ी में पुलिस है |

विजय कुमार ने अपने आदमियों जो लोग वीरप्पन को पकड़ने की प्लानिंग में शामिल थे उनसे कहा की वीरप्पन को उकसाओ कि अगर वो समय रहते अपना इलाज नहीं कराया तो उसकी आंख खराब हो सकती है | आखिरकार  एसटीएफ का बहुत बड़ा सपना पूरा होने वाला था वीरप्पन को पकड़ने की सारी प्लानिंग हो चुकी थी | वीरप्पन जैसे ही एम्बुलेंस में बैठा गाड़ी चल पड़ी और रस्ते में गाड़ी रोकी गयी वीरप्पन को पकड़ने के लिए चेतावनी दी गयी वीरप्पन को लेकिन जबाब में वीरप्पन ने फायरिंग कर दी | फिर पुलिसवालों ने फायरिंग शुरू कर दी करीब 320 राउंड की फायरिंग की गई लेकिन 320 राउंड की फायरिंग में वीरप्पन को सिर्फ दो ही गोलियां लगीं | 

इस घटना के बाद हर कोई हैरान था कि वीरप्पन का एनकाउंटर नहीं हो सकता कई लोगों ने कहा कि पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ने की कोशिश नहीं की होंगी | इंक्वायरी में पता चला कि पुलिसवालों ने वीरप्पन को चेतावनी दी थी | लेकिन इसी बीच उसने गोलियां चलाना शुरू कर दिया इसका जवाब देते हुए पुलिसवालों को फायरिंग करनी पड़ी पेशावर के खत्म होने के बाद विजय कुमार ने वीरप्पन पर एक किताब भी लिखी जिसका नाम था वीरप्पन चेजिंग द ब्रिगेट इसके बाद उन्होंने बताया कि उन्होंने किस तरह से वीरप्पन को पकड़ा | दोस्तों यह था दक्षिण भारत का कुख्यात डाकू वीरप्पन और आज उसी की कहानी से प्रेरित होकर पुष्पा मूवी को बनाया गया जो एक बहुत बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई | 

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